होम्‍योपैथी में हैं डायरिया के इलाज के ल‍िए कई दवाएं

होम्‍योपैथी  में हैं डायरिया के इलाज के ल‍िए कई दवाएं

आंत्रशोथ या कहें हैजा आमतौर पर गर्मियों में फैलने वाली बीमारी है मगर अब यह गर्मियों तक सीमित नहीं रह गया है। दरअसल इसकी मुख्‍य वजह से पीने के पानी का दूषित होना और ये तो सभी जानते हैं कि आजकल गांवों और शहरों में पीने का पानी सबसे पहले प्रदूषित होता है। ऐसे में किसी भी मौसम में पेट का संक्रमण हो सकता है।

वरिष्‍ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्‍टर ए.के. अरुण के अनुसार आंत्रशोथ का प्रकोप मुख्यतः तीन वजह से बढ़ता है। इनमें सबसे पहला कारण है पीने के पानी का दूषित होना,  दूसरा कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी और तीसरा कारण है पोष्टिक भोजन की कमी। आमतौर पर यह देखा गया है कि आंत्रशोध का प्रकोप सबसे अधिक उन्हीं इलाकों में होता है जहां पानी की गुणवत्ता खराब होती है।

इन इलाकों में जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वह तत्काल इसकी चपेट में आ जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में लोगों के इस रोग की चपेट में आने का मुख्य कारण पानी के साथ-साथ बासी भोजन भी है। गर्मियों में खाना जल्दी खराब होता है और उसे उपयुक्त तापमान पर रखने की सुविधा नहीं होने के कारण लोग खराब खाना ही खा लेते हैं और इसका नतीजा आंत्रशोथ के रूप में भुगतान होता है।

जहां तक इलाज का सवाल है तो एलोपैथी के मुकाबले होम्योपैथी में ज्यादा बेहतर इलाज मौजूद है। एक चीज दोनों में समान है और वह है नमक-चीनी का घोल। इसके अलावा इसकी अलग-अलग अवस्थाओं के लिए होम्योपैथी में अलग-अलग दवाइयां इस्तेमाल की जाती हैं। उदाहरण के लिए यदि तैलीय भोजन के कारण दस्त हो रहे हों तो पल्सेटीला का इस्तेमाल करना चाहिए। ज्यादा कैलोरी वाले भोजन मसलन बर्गर, पिज्जा, आदि के कारण समस्या हो तो नक्सवोमिका  दो-तीन दस्त के बाद ही शरीर को फायदा पहुंचाता है।

इसके अलावा यदि आंत्रशोथ के कारण मरीज की स्थिति नाजुक अवस्था में पहुंच जाए, इसकी नब्ज धीमी होने लगे तो कैंफर देना चाहिए। कैंफर को इस अवस्था में जीवनरक्षक भी माना जा सकता है। इसके अलावा गर्मियों में आंत्रशोथ की आम अवस्था में सल्फर दिया जा सकता है।

दस्त के साथ लू का प्रकोप हो तो ग्लोनाइन से लाभ होता है। आंत्रशोथ से सबसे अधिक पीडित होते हैं। 2 महीने से लेकर 4 वर्ष की उम्र के बच्चे। इस उम्र में एक से दो दस्त के बाद ही बच्चे निढाल हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में कैलोमीला नामक दवा देनी चाहिए। लेकन एक बात स्पष्ट रूप से समझ लें कि इन दवाइयों की निम्न शक्ति का भी इस्तेमाल करें और इस्तेमाल से पहले किसी योग्य होम्योपैथ से सलाह अवश्य लें।

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